मैंने सोचा कब छूटेगी इनकी ये लत,
फिर भी सेवन किया उसने हर वक़्त,
नशा जो करता रहा कोई इंसान,
फिर कभी न होगा उसका कल्याण,
नशे को छोड़ कर तो देखो एक बार,
वरना छूट जाएगी ये ज़िन्दगी ये संसार,
कब होगा नशे का सिलसिला बंद?
नहीं तो ये कर देगा सभी का अंत,
मत पियो ये जहर है एक ऐसा,
जिसकी चपेट में आ रहा हर शहर है,
कहीं न खुले नशे की ये दुकान,
अगर अभी न रोका इसको,
बना देगा ये हर घर को शमशान।।
ज्योति
कक्षा - 9, उम्र-15
बैसानी, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स

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